News Portal

क्या ‘अबकी बार 400 पार’ में बाधा बन रही थी एंटी इनकम्बेंसी?

हरियाणा : लोकसभा चुनाव में पहले हरियाणा की सियासत में हुए बड़े बदलाव ने सभी को हैरान कर दिया है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से हटाने और जजपा के साथ गठबंधन तोड़ कर लोकसभा चुनाव में अपनी मुश्किल राह को थोड़ा आसान बनाने का प्रयास किया है। भाजपा के विश्वस्त सूत्रों की मानें, तो हरियाणा की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में पांच लोकसभा सीटों पर पार्टी को असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। केंद्रीय नेतृत्व की एक विशेष सर्वे रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी। प्रधानमंत्री मोदी का नारा, ‘अबकी बार 400 पार’ की राह में मुख्यमंत्री खट्टर को लेकर सत्ता विरोधी लहर एक बड़ी बाधा बन रही थी। नतीजा, भाजपा को पिछड़े समुदाय से आने वाले नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर नई ‘सोशल इंजीनियरिंग’ का सहारा लेना पड़ा है।

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल को लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने कई एजेंसियों के जरिए सर्वे रिपोर्ट तैयार कराई थी। प्रदेश की सभी दस लोकसभा सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहेगा, इसे लेकर जो नतीजे सामने आए, वे उत्साहवर्धक नहीं थे। खासतौर से रोहतक, हिसार और सोनीपत की लोकसभा सीट पर भाजपा की राह मुश्किल बताई जा रही थी। इसके अलावा भिवानी-महेंद्रगढ़ और सिरसा लोकसभा क्षेत्र, ये दोनों सीटें भी पार्टी के लिए आसान नहीं बताई जा रही। पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर को लेकर जो रिपोर्ट तैयार हुई, उसमें उनकी प्रशासनिक दक्षता पर कोई सवाल नहीं उठाया गया। उन पर कोई भ्रष्टाचार का आरोप भी नहीं लगा। उन्होंने जिस सख्ती के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाई, उससे प्रदेश में कुछ समुदाय असहज महसूस कर रहे थे। इसमें जाट समुदाय पहले नंबर पर था। लोगों की यह शिकायत रही कि मनोहर लाल खट्टर उनके साथ, वैसे नहीं मिलते थे, जैसे पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा मिलते रहे हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.