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क्या है स्विट्जरलैंड शांति वार्ता, जिसमें आमंत्रित किए गए पीएम मोदी; भारत की भूमिका क्या?

बीते दो साल से अधिक का वक्त हो चुका है, रूस और यूक्रेन अब खूनी जंग लड़ रहे हैं। इस युद्ध ने दोनों पक्षों के हजारों लोगों की जान ले ली है और लाखों लोगों को अपने घर-बार छोड़ने पड़े। जंग कब खत्म होगी, यह अब दुनियाभर की चिंता बन चुकी है। दो साल से अधिक समय से जारी युद्ध को खत्म करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

इसी कड़ी में स्विट्जरलैंड में एक शांति वार्ता आयोजित की जानी है। वार्ता में भारत की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण होने वाली है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन दोनों देशों के राष्ट्रपति से बात की है।

Proposed Switzerland peace summit and India's role in resolving the Russia Ukraine issue
पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन के नेताओं से क्या बात की है?
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर वार्ता की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को पांचवीं बार राष्ट्रपति बनने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच साथ काम करने को लेकर सहमति बनी है। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भी चर्चा हुई। पीएम मोदी ने आगे बढ़ने के रास्ते के रूप में बातचीत और कूटनीति का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत संवाद और कूटनीति के पक्ष में भारत की परंपरागत और निरंतर स्थिति को दोहराया।

इसके बाद बुधवार को ही प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि भारत और यूक्रेन के द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर और मजबूत बनाने पर विस्तार से बातचीत हुई। पीएम ने ‘युद्धविराम’ और रूस के साथ दो साल से अधिक समय से जारी युद्ध को खत्म करने का जिक्र करते हुए लिखा, ‘शांति के सभी प्रयासों और चल रहे संघर्ष को यथाशीघ्र समाप्त करने की दिशा में भारत निरंतर समर्थन करता रहेगा।’

Proposed Switzerland peace summit and India's role in resolving the Russia Ukraine issue
स्विट्जरलैंड वार्ता चर्चा में क्यों है? 
प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई वार्ता के बारे में जानकारी देते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने प्रस्तावित स्विट्जरलैंड वार्ता का जिक्र किया। जेलेंस्की ने लिखा, ‘मैंने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता, मानवीय सहायता और शांति फॉर्मूला बैठकों में सक्रिय भागीदारी के लिए भारत के समर्थन के लिए आभार व्यक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की।’

यूक्रेनी राष्ट्रपति ने बताया कि उनके लिए भारत को औपचारिक शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेते देखना महत्वपूर्ण होगा, जिसकी तैयारी इस समय स्विट्जरलैंड में की जा रही है।

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आखिर प्रस्तावित स्विट्जरलैंड वार्ता क्या है?
दरअसल, जनवरी 2024 में स्विस राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड ने घोषणा की थी कि उनका देश रूस-यूक्रेन युद्ध के शांति फॉर्मूले पर एक वैश्विक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इसके पहले 2022 में इंडोनेशिया में हुए जी20 शिखर सम्मेलन में जेलेंस्की ने अपना 10-सूत्रीय शांति प्रस्ताव रखा था। प्रस्तुत योजना का अंतिम चरण शांति समझौते पर हस्ताक्षर करना है। इस प्रस्ताव में परमाणु सुरक्षा और खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा जैसे मुद्दें हैं।

जेलेंस्की का कहना है कि किसी भी शांति वार्ता को उनके द्वारा पहले सुझाई गई 10 सूत्री योजना के अनुरूप होना चाहिए। इस योजना में खाद्य सुरक्षा, यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता की बहाली, रूसी सैनिकों की वापसी, सभी कैदियों की रिहाई, हमले के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए एक न्यायाधिकरण और अपने देश के लिए सुरक्षा की गारंटी शामिल है।

स्विस वार्ता दर्जनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच विभिन्न स्थानों पर हुई बैठकों की एक श्रृंखला पर आधारित होगी। जेलेंस्की ने एक बयान में कहा कि स्विट्जरलैंड में होने वाले पहले शांति शिखर सम्मेलन में रूस को आमंत्रित नहीं किया जाएगा। जबकि चीन और स्विट्जरलैंड इस बात पर जोर दे रहे हैं कि यूक्रेन में युद्ध को पूरी तरह से समाप्त करने के उद्देश्य से वार्ता में रूस को आमंत्रित किया जाए।

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रूस-यूक्रेन मुद्दा हल करने में भारत की भूमिका अहम क्यों?
इस वार्ता का आयोजन स्विट्जरलैंड करने जा रहा है जो इसे समावेशी बनाना चाहता है। इसी सोच के तहत स्विस विदेश मंत्रालय ने ग्लोबल साउथ के नेताओं तक भी पहुंच बनाई है। फरवरी महीने में विदेश मंत्री इग्नाजियो कैसिस के भारत और चीन दौरों में रूस-यूक्रेन संघर्ष सबसे बड़ा विषय था। इस कड़ी में अब खुद युद्धरत देश यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भारत को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। जेलेंस्की का कहना है कि यूक्रेन दुनिया के उन सभी देशों के लिए खुला है जो उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं।

युद्ध के शुरू होने के साथ दुनिया दो धड़ों में बंटना शुरू हो गई थी। यूक्रेन का साथ देने के लिए नाटो सदस्य देश खड़े हो गए तो अमेरिका, ब्रिटेन, पोलैंड, फ्रांस समेत कई देशों ने युद्ध से बाहर रहते हुए इसको मदद पहुंचानी शुरू कर दी। दूसरी ओर चीन, दक्षिण कोरिया, ईरान जैसे देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रूस के साथ खड़े हुए। हालांकि, भारत ने किसी का पक्ष नहीं लिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर का कहना है कि भारत सार्वजनिक रूप से इस युद्ध की समाप्ति के लिए प्रतिबद्ध है।

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