News Portal

RTI : गृह विभाग के दो अफसरों को कार्रवाई का नोटिस

RTI राज्य सूचना आयुक्त विपिन चंद्र ने शुल्क जमा करने के बाद भी उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग की वार्षिक रिपोर्ट की सूचना देने से इनकार करने के मामले में सख्त रुख दिखाया है। सूचना देने में हीलाहवाली को लेकर जिम्मेदार गृह विभाग के दो अनुभाग अधिकारियों को आयोग ने कार्रवाई का नोटिस जारी किया है।
दोनों को व्यक्तिगत रूप से पक्ष रखने के लिए आयोग में तलब किया है। साथ ही आगामी विधानसभा सत्र में उत्तराखंड मानवाधिकार की रिपोर्ट भी सदन पटल पर रखने और 29 जून से पहले संपूर्ण कार्यवाही पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। आरटीआई कार्यकर्ता नदीम उद्दीन की अपील पर सूचना आयुक्त ने ये आदेश दिए। नदीम उद्दीन ने गृह विभाग से उत्तराखंड मानव अधिकार आयोेग की सरकार को प्रस्तुत वार्षिक/विशेष रिपोर्टों, इस पर कार्यवाही तथा उन्हें विधानसभा के समक्ष रखने संबंधी सूचनाएं मांगी थीं।
जवाब में पहले तो लोक सूचना अधिकारी ने 260 रुपये अतिरिक्त शुल्क की मांग की, लेकिन जब इस शुल्क का भुगतान कर दिया गया तो सुरक्षा व गोपनीयता का हवाला देते हुए वार्षिक रिपोर्ट व विशेष रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया। नदीम ने उत्तराखंड सूचना आयोग को द्वितीय अपील की। अपील पर सुनवाई के बाद सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र ने सूचना उपलब्ध न कराने तथा विधानसभा के समक्ष उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट न रखने पर कठोर रुख अपनाया।

 

दायित्वों व कर्तव्योें का निर्वहन सुचारू रूप से न करने का दोषी माना

आदेश में तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी धीरज कुमार और वर्तमान लोक सूचना अधिकारी धर्मेन्द्र कुमार द्विवेदी को अपने दायित्वों व कर्तव्योें का निर्वहन सुचारू रूप से न करने का दोषी माना। कहा कि राज्य मानवाधिकार आयोग की वार्षिक रिपोर्ट व विशेष रिपोर्ट अत्यंत महत्वपूर्ण हैै। उक्त रिपोर्ट राज्यवासियों के मानवाधिकार से संबंधित है एवं उक्त रिपोर्ट को समय से मंत्रिमंडल के सम्मुख व विधानसभा के पटल पर रखने की जिम्मेदारी प्रशासन की हैै। यदि उक्त दोनों अधिकारियों द्वारा प्रकरण में सुचारु रूप से कार्य करते हुए उत्तराखंड मानव अधिकारी रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष विचार के लिए रखते तो सूचना अपीलार्थी को प्रेषित की जा सकती थी। स्पष्ट हैै कि दोनों अधिकारियों ने अपने कार्य के प्रति लापरवाही एवं उदासीनता बरती।

दोनों के व्यवहार को अनुचित एवं दंडनीय माना

सूचना आयुक्त ने दोनों अधिकारियों के व्यवहार को अनुचित एवं दंडनीय माना। अपने कार्य के प्रति उदासीनता व लापरवाही बरतने के लिए दोनों अधिकारियों को कारण बताओे नोटिस जारी करने के आदेश दिए। आदेश में कहा कि क्यों न उनके लोेक प्राधिकारी को उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की सिफारिश की जाए। उनकी सेवा पुस्तिका में आयोग की टिप्पणी अंकित की जाए। दोनों अधिकारियों को अपना स्पष्टीकरण आगामी सुनवाई की तिथि को उपस्थित होकर आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.