कैबिनेट ने यूसीसी की नियमावली को दी मंजूरी, सीएम धामी ने कहा-प्रदेश में जल्द किया जाएगा लागू
Dehradun; उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) अब महज एक कदम दूर रह गई है। सोमवार को धामी कैबिनेट ने समान नागरिक संहिता की नियमावली को मंजूरी दे दी है। इसके तहत विवाह से लेकर तलाक, लिव इन रिलेशनशिप आदि के प्रमाणपत्र ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से बनेंगे। दूरस्थ गांवों में इसे पहुंचाने के लिए जनसेवा केंद्रों (सीएससी) की मदद ली जाएगी।
नागरिकों और अधिकारियों के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित किए गए हैं। जिनमें आधार आधारित सत्यापन, 22 भारतीय भाषाओं में एआई से अनुवाद, 13 से अधिक विभागों की सेवाओं (जन्म-मृत्यु पंजीकरण, जिला, उच्च न्यायालय आदि) से डाटा समन्वय तक की सुविधा उपलब्ध है।
तत्काल सेवा के तहत पंजीकरण का अलग शुल्क
यूसीसी के विभिन्न पंजीकरण विवाह, तलाक, विवाह शून्यता, सहवासी संबंधी, वसीयत आदि होंगे। सरकार ने तत्काल के तहत त्वरित पंजीकरण के लिए अलग से शुल्क निर्धारित किया है। सहवासी संबंधों के पंजीकरण व समाप्ति की प्रक्रिया भी सरल बनाई गई है। एक साथी की ओर से समाप्ति के आवेदन पर दूसरे की पुष्टि अनिवार्य होगी। उत्तराधिकार में वसीयत को पोर्टल पर अपलोड कर ऑनलाइन पंजीकरण एवं संशोधन, रद्दीकरण, पुनर्जीवन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
कैबिनेट में ये भी हुए फैसले
– उत्तराखंड राज्यपाल सचिवालय राजपत्रित अधिकारी और निजी सचिव द्वितीय संशोधन नियमावली को मंजूरी।
– वित्त विभाग का वित्तीय अधिकारों के प्रतिनिधायन में संशोधन।
– उत्तराखंड अधीनस्थ सिविल न्यायालय समूह ”घ” सेवा नियमावली के प्रख्यापन के संबंध में।
– 29 से 31 जुलाई 2024 तक गौरीकुंड से केदारनाथ के मध्य क्षतिग्रस्त संपत्तियों के लोक निर्माण एवं सिंचाई विभाग द्वारा किए गए पुनर्निर्माण के कुछ कार्यों को आपदा की दृष्टिगत अधिप्राप्ति नियमावली 2017 के अधीन छूट प्रदान किए जाने का निर्णय।
प्रदेश की जनता के साथ हमारा जो वादा, संकल्प था, वह पूरा हो रहा है। जब 2022 के विधानसभा चुनाव में हम देवभूमि की जनता के बीच गए थे तो हमने उनसे वादा किया था, संकल्प लिया था कि हम समान नागरिक संहिता लाएंगे। अब देश में सबसे पहले यूसीसी लागू करने वाला राज्य देवभूमि उत्तराखंड बनने जा रहा है। हम जल्द ही इसकी तिथि की घोषणा करेंगे।
-पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
21 जनवरी को वेबपोर्टल पर पूरे प्रदेश में होगी मॉक ड्रिल
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का वेबपोर्टल 21 जनवरी को पहली बार प्रदेशभर में एक साथ उपयोग में आएगा। फिलहाल यह कवायद सरकार के अभ्यास (मॉक ड्रिल) का हिस्सा होगी। इसके बाद यूसीसी को लागू किया जा सकता है। मॉक ड्रिल में यूसीसी का प्रशिक्षण ले रहे रजिस्ट्रार, सब रजिस्ट्रार और अन्य अधिकारी अपने-अपने कार्यालयों में यूसीसी पोर्टल पर लॉगइन करेंगे। उसके जरिये विवाह, तलाक, लिव इन रिलेशन, वसीयत आदि सेवाओं के पंजीकरण का अभ्यास करेंगे। सुनिश्चित करेंगे कि यूसीसी लागू होने के बाद आम लोगों को उससे संबंधित सेवाएं मिलने में कोई तकनीकी बाधा तो नहीं आएगी। मॉक ड्रिल से सरकार, विशेष समिति और प्रशिक्षण टीम अपनी-अपनी तैयारियों को परख सकेंगी।
घोषणा से कानून बनने तक का सफर
- 12 फरवरी 2022 को विस चुनाव के दौरान सीएम धामी ने यूसीसी की घोषणा की।
- मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में यूसीसी लाए जाने पर फैसला।
- मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति बनी।
- समिति ने 20 लाख सुझाव ऑफलाइन और ऑनलाइन प्राप्त किए।
- 2.50 लाख लोगों से समिति ने सीधा संवाद किया।
- 02 फरवरी 2024 को विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
- 06 फरवरी को विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश हुआ।
- 07 फरवरी को विधेयक विधानसभा से पारित हुआ।
- राजभवन ने विधेयक को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा।
- 11 मार्च को राष्ट्रपति ने यूसीसी विधेयक को अपनी मंजूरी दी।
- यूसीसी कानून के नियम बनाने के लिए एक समिति का गठन।
- नियमावली एवं क्रियान्वयन समिति ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों में आज 18 अक्तूबर 2024 को राज्य सरकार को नियमावली साैंपी।
- 20 जनवरी 2025 को नियमावली को कैबिनेट की मंजूरी मिली।
यूसीसी लागू होगा तो यह आएंगे बदलाव
- सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून।
- 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा।
- पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
- पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
- विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
- महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
- हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
- कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
- एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
- पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
- संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
- जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
- नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
- गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
- किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
- कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
- लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
- लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
- लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।