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अमृत सरोवर योजना लागू करने में उत्तराखंड तीसरे स्थान पर

Dehradun: देशभर में जलाशयों के पुनरुद्धार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू की गई महत्वाकांक्षी अमृत सरोवर योजना को लागू करने में उत्तराखंड ने तीसरा स्थान पाया है। इसमें पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश और दूसरे स्थान पर जम्मू-कश्मीर हैं। प्रदेश में इस योजना के लागू होने से जहां भू-जलस्तर में सुधार देखने को मिला है।

वहीं, ग्रामीणों के लिए खेतों में सिंचाई और मछली पालन व्यवसाय की राह भी खुली है। केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई अमृत सरोवर योजना के तहत जिला स्तर, नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जर्जर हो चुके तालाबों का जीर्णोद्धार कर इन्हें पुनर्जीवित किया जा रहा है। योजना के तहत हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाए जाने थे। उत्तराखंड में लक्ष्य 975 के सापेक्ष 1092 अमृत सरोवर का निर्माण किया है। इनमें से 199 वन भूमि पर वन विभाग की ओर से तैयार कराए गए हैं।

ग्राम्य विकास विभाग के तहत संचालित इस योजना में बने 340 अमृत सरोवर को ग्रामीणों के समूहों को मछली पालन के लिए आवंटित किया जा चुका है। यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। ग्राम्य विकास विभाग की मानें तो अमृत सरोवर के विकास से ग्रामीणों को बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर भू-जलस्तर पर में सुधार देखने को मिला है। किसानों को सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध हो रहा है। इसके अलावा ग्रामीण अमृत सरोवर में मछली पालन कर अपनी आय बढ़ा रहे हैं।

961 अमृत सरोवर और बनाए जाएंगे

उत्तराखंड में अमृत सरोवर योजना की प्रगति को देखते हुए इसे और आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत ग्राम्य विकास विभाग ने 961 स्थान और चिह्नित किए हैं, जहां अमृत सरोवर बनाए जाएंगे। इनमें से 236 पर काम शुरू हो गया है।
अमृत सरोवर योजना में पांच राज्यों की स्थिति
राज्य – लक्ष्य – तैयार – सफलता का प्रतिशत
उत्तर प्रदेश- 5625 – 9009 – 161.94
जम्मू कश्मीर – 1500 – 2419 – 161.27
उत्तराखंड – 975 – 1092 – 112.00
हिमाचल – 900 – 760 – 84.44
मिजोरम – 825 – 657 – 79.64
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना अमृत सरोवर पर उत्तराखंड में बहुत तेजी से काम हुआ है। हमने लक्ष्य के सापेक्ष अधिक सरोवर तैयार किए हैं। इसके अलावा नौ सौ से अधिक और स्थान चिह्नित कर लिए गए हैं, जहां नए सरोवर बनाए जाएंगे। अमृत सरोवर का लाभ भी लोगों को मिलने लगा है। – आनंद स्वरूप, अपर सचिव व आयुक्त, ग्राम्य विकास विभाग

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