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पार्टी को कह सकते हैं अलविदा कांग्रेस विधायक हरीश धामी

धारचूला सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने वाले कांग्रेस के विधायक हरीश धामी ने एक बार फिर संगठन के प्रति तेवर दिखाए हैं। प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के बाद उनका असंतोष फिर झलका है। धामी का कहना है कि कांग्रेस ने हमेशा उनकी उपेक्षा की है।
कांग्रेस विधायक हरीश धामी पर पार्टी हाईकमान के फैसले से नाराज है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही उनके साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार किया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की ओर से प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और विधायक दल के उपनेता की मेरिट के आधार पर नियुक्ति के बयान पर धामी ने कहा कि मेरिट के आधार पर यदि इन पदों पर नियुक्ति करनी थी तो वह सबसे उपयुक्त थे। उन्होंने कहा कि विधायक मयूख महर और मनोज तिवारी अधिक उपयुक्त होते, लेकिन मेरिट की बात करने वालों ने सभी वरिष्ठों को जूनियर विधायकों से नीचे रख दिया।

धामी ने यह भी कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है कि उनके साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार किया गया हो। 2017 के संगठन के चुनावों में उनकी उपेक्षा की जा चुकी है जबकि वह उस समय लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 2014 में मुख्यमंत्री को चुनाव जिताया था। लोक सभा चुनावों में भी सबसे अधिक मतदान उन्हीं की विधानसभा सीट पर हुआ था। आज तीन बार चुनाव जीतने वाले को दरकिनार कर मेरिट की बात कही जा रही है। वह सैनिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से हैं। उनके पिता ने 1971 की लड़ाई लड़ी है। उन्होंने सवाल किया कि एक सैनिक का बेटा होने के बावजूद उनके साथ हर बार इस तरह का व्यवहार क्यों किया जाता है।
कांग्रेस में नए दायित्वों के बाद जिस तरह से अंतर्कलह सामने आ रहा है उससे तमाम तरह की कयासबाजी शुरू हो गई हैं। चर्चा यह भी है कि कांग्रेस विधायक हरीश धामी भी भाजपा में जा सकते हैं। हालांकि हरीश धामी ने इस पर स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा लेकिन जिस तरह उपेक्षा के आरोप लगाए हैं उससे माना जा रहा है कि वह पार्टी को अलविदा भी कह सकते हैं। चर्चा तो यह भी है कि यदि विधायक हरीश धामी भाजपा में शामिल होंगे तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को धारचूला से चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है।

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